लक्ष्य प्राप्ति के लिए बेचैनी होनी चाहिऐ
एक बार एक संयासी समुद्रतट के किनारे- किनारे टहल रहे थे उसी वक्त एक ब्यक्ति उनके पास पहुँचा , प्रणाम किया और पूछा " महाराज !भगवत्तप्राप्ति कैसे हो सकती है ? "
संत महाराज यह सुनकर उसे समुद्र के अन्दर कुछ गहराई तक ले गये और उसे पानी के अन्दर डुबोया उसे तब तक डूबोये रखा जब तक वह छटपटाने नहीं लगा। उसके बाद उन्होने उसे बाहर निकाला और पूछा , " यह बताओ पानी के अन्दर तुम्हे कैसा लग रहा था ? "
संत महाराज यह सुनकर उसे समुद्र के अन्दर कुछ गहराई तक ले गये और उसे पानी के अन्दर डुबोया उसे तब तक डूबोये रखा जब तक वह छटपटाने नहीं लगा। उसके बाद उन्होने उसे बाहर निकाला और पूछा , " यह बताओ पानी के अन्दर तुम्हे कैसा लग रहा था ? "
उस ब्यक्ति ने कहा " महाराज ऐसा लग रहा था जैसे कि अब इसी क्षण मरने ही वाला हूँ और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था। "
संत ने कहा " जिस प्रकार तुम पानी के अन्दर बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे थे ठीक उसी प्रकार जब भी तुम उस परमात्मा को पाने के छटपटाओगे उस वक्त ही तुम उन्हे प्राप्त कर सकते हो। "
संत ने कहा " जिस प्रकार तुम पानी के अन्दर बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे थे ठीक उसी प्रकार जब भी तुम उस परमात्मा को पाने के छटपटाओगे उस वक्त ही तुम उन्हे प्राप्त कर सकते हो। "
सीख : किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसको प्राप्त करने की बेचैनी होनी चाहिए ।
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