उठो, साहसी बनो, वीर्यवान बनो।
सब उत्तरादायित्व अपने कन्धे पर लो।
याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य क निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, वह सब तुम्हारे भीतर ही विद्यमान है ।
अत: इस ज्ञानरूप शक्ति के सहारे तुम बल प्राप्त करो और अपने हांथों अपना भविष्य गढ़ डालो।