जेट-प्रवाह ( Jet Streams ) क्या है
जेट-प्रवाह अथवा जेट धारायें का अंग्रेजी रूपान्तरण जेट स्ट्रीम ( Jet Streams ) कहलाता हैं।
मुख्य रूप से क्षोभमण्डल ( Troposphere ) के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल ( Stratosphere ) में बहुत ही तीब्र गति से चलने वाली नलिकाकार, संकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु प्रणाली को जेट-प्रवाह कहते हैं। चूकि विमानों के उड़ान में यह मण्डल सहायक होता है , इसलिए इसका नाम Jet Streams दिया गया है |
➽ ये जेट-प्रवाह चक्रवातों ( Cyclones ) , प्रतिचक्रवातों ( Anticyclones ) , तुफानों ( Storms ) , वायुमण्डलीय विक्षोभों ( Atmospheric disturbances ) और वर्षा उत्पन करने में सहायक होती हैं। यानि ये हवायें धरातलीय मौसम को प्रभावित करती हैं |
➽ ये हवायें सामान्यतः पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती हैं और
यह ऊपरी वायुमंडल में ये 7 से 12 किमी की ऊच्चाई पर होती हैं। ( नोट - अलग अलग किताबों में यह डाटा अलग अलग दिया गया है | )
➽ भारत के परिप्रेक्ष्य में मुख्य रूप से दो तरह की जेट प्रवाह पाई जाती है -
➤ पश्चिमी जेट प्रवाह ( Western Jet Streams )
➤ पूर्वी जेट प्रवाह ( Eastern Jet Streams )
पश्चिमी जेट प्रवाह , पूरे सालभर चलने वाला स्थायी जेट प्रवाह होता है | इसकी दिशा पश्चिम भारत से लेकर दक्षिण पूर्वी भारत की ओर होती है | इस पश्चिमी जेट प्रवाह के कारण धरातल पर शुष्क और सुखी हवाएं चलती हैं |
जबकि पूर्वी जेट प्रवाह की प्रवाह , ठीक इसके विपरीत होती है | यानी इसकी दिशा दक्षिण पूर्वी भारत से पश्चिम भारत की ओर होती है जो एक अस्थाई जेट प्रवाह है | पूर्वी जेट प्रवाह ही भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए जिम्मेदार होती है | इस पूर्वी जेट प्रवाह का प्रभाव जुलाई , अगस्त और सितम्बर महीने में दिखाई देता है |
मुख्य रूप से क्षोभमण्डल ( Troposphere ) के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल ( Stratosphere ) में बहुत ही तीब्र गति से चलने वाली नलिकाकार, संकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु प्रणाली को जेट-प्रवाह कहते हैं। चूकि विमानों के उड़ान में यह मण्डल सहायक होता है , इसलिए इसका नाम Jet Streams दिया गया है |
➽ ये जेट-प्रवाह चक्रवातों ( Cyclones ) , प्रतिचक्रवातों ( Anticyclones ) , तुफानों ( Storms ) , वायुमण्डलीय विक्षोभों ( Atmospheric disturbances ) और वर्षा उत्पन करने में सहायक होती हैं। यानि ये हवायें धरातलीय मौसम को प्रभावित करती हैं |
➽ ये हवायें सामान्यतः पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती हैं और
यह ऊपरी वायुमंडल में ये 7 से 12 किमी की ऊच्चाई पर होती हैं। ( नोट - अलग अलग किताबों में यह डाटा अलग अलग दिया गया है | )
➽ भारत के परिप्रेक्ष्य में मुख्य रूप से दो तरह की जेट प्रवाह पाई जाती है -
➤ पश्चिमी जेट प्रवाह ( Western Jet Streams )
➤ पूर्वी जेट प्रवाह ( Eastern Jet Streams )
पश्चिमी जेट प्रवाह , पूरे सालभर चलने वाला स्थायी जेट प्रवाह होता है | इसकी दिशा पश्चिम भारत से लेकर दक्षिण पूर्वी भारत की ओर होती है | इस पश्चिमी जेट प्रवाह के कारण धरातल पर शुष्क और सुखी हवाएं चलती हैं |
जबकि पूर्वी जेट प्रवाह की प्रवाह , ठीक इसके विपरीत होती है | यानी इसकी दिशा दक्षिण पूर्वी भारत से पश्चिम भारत की ओर होती है जो एक अस्थाई जेट प्रवाह है | पूर्वी जेट प्रवाह ही भारत में मूसलाधार वर्षा के लिए जिम्मेदार होती है | इस पूर्वी जेट प्रवाह का प्रभाव जुलाई , अगस्त और सितम्बर महीने में दिखाई देता है |
bhai ya ro reading hi krne do ya bar bar add hi dikho jb read kr rha hu tb add aa rha h fullscreen pe ye kya mzak h yar
ReplyDeleteवाव
ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteGood
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