गोरक्षासन की विधि व उससे लाभ

   नमस्कार  दोस्तों !! इसका दूसरा नाम भद्रासन है |  ऐसा कहा जाता है की भद्रासन , भद्र पुरुषों का आसन है और इसी कारण इसका नाम भद्रासन पड़ा है | इस आसन को शुरुवात में आप जितनी देर तक कर सकते है करें |  धीरे धीरे अभ्यस्थ होने पर इसे तीन से पांच मिनट तक करना चाहिए | तो आइये जानते हैं  कैसे करना चाहिए |



                                                     #  गोरक्षासन करने की विधि  #

 १.  सबसे पहले सामान्य श्वास लेते हुवे एक स्वच्छ आसन पर पैरों को फैलाकर बैठ जायें |
२.  एक एक करके  दोनों  पैर के घुटने को मोडें , उसके दोनों तलुवों को हांथों की सहायता से आपस में सटाएं |
३.  श्वांस छोड़ते हुवे दोनों हाथ जमीन पर टेककर शरीर  ऊपर उठायें और दोनों पैर के पंजों पर इस प्रकार से बैठें के शरीर का वजन एड़ी  मध्य में रहे |
 ४.  श्वांस अंदर की तरफ लेते हुवे दोनों हांथों की हथेलियों को घुटनों पर रखें |
५.   अब अंत में श्वांस को रोककर ठोढ़ी को छाती पर दबाएं |
६.  कुछ समय बाद सामान्य श्वांस लेते हुवे सामान्य स्थिति में आ जायें |





#  गोरक्षासन करने से होने वाले फायदे  # 


१.  इस आसन को करने से शरीर की जड़ता धीरे धीरे कम होती है | 
२.  बवासीर , धातुक्षय , पाण्डुरोग , भगन्दर आदि समस्याओं से इस आसन के द्वारा आराम मिलता है | 
३.   इसके अभ्यास से स्नायुतंत्र मजबूत होता है | 
४.  पाचनक्रिया सुचारु ढंग से होने लगती है | 
५.  तन  स्फूर्ति और प्रसन्नता आती है | 



सावधानी ; घुटने का दर्द , एड़ी का दर्द या चोट होने पर , मोटापा से ग्रस्त होने पर इस आसन को नहीं करना चाहिए | 


( निवेदन ;;  प्रिय मित्रों !! योग  फायदेमंद तो होता ही है पर इसे उचित ढंग से न जाये तो ये नुकसान भी पंहुचा सकता है | इसलिए  किसी योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इसे करेंगे  तो ज्यादा उत्तम रहेगा | 
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