विद्यार्थी और उसका कर्तव्य ( Student And Their Duties )
किसी भी देश की सबसे मूल्यवान पूंजी होती है उस देश की युवा शक्ति ! हमलोगों के देश में तो इसे सदियों से माना जाता है | हमारे ऋषि मुनियों ने भी युवाकाल को बहुत अधिक महत्व दिया है |
प्राचीन आचार्यों ने तो मानव जीवन को चार भागों में विभाजित किया है - ब्रम्हचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास |
इनमे प्रथम ब्रम्हचर्य आश्रम विद्यार्थी जीवन के लिए होता है | इस अवस्था में विद्यार्थी के कुछ कर्तव्य होते है जिनका समुचित पालन करके वह अपने आपको भावी जीवन के योग्य बनता है | इस जीवन के क्रिया कलापों के द्वारा ही उसके भावी जीवन का निर्माण होता है |
विद्यार्थी के जीवन को सही मार्ग पर चलाने का प्रथम दायित्व अभिभावकों और समाज का होता है | विद्यार्थी के प्रारम्भिक जीवन में उसे हर प्रकार से नियमित और अध्ययनशील बनाने का प्रयत्न करना चाहिए | उसके रहन - सहन , संगति पर प्रारम्भ से ही ध्यान देने की जरुरत होती है | आवश्यकता पड़ने पर उसे सुविधायें तथा गलती करने पर उसे दण्ड भी देना चाहिए ताकि वह अपने कर्तब्य को समझे और उससे उसका ध्यान न भटकने पाये |
विद्यार्थी का मुख्यतम कर्तव्य है - अध्ययन | उसे मन लगाकर , एकाग्रचित होकर पढ़ना चाहिए | विद्वानों द्वारा यह कहा गया है -
काक चेष्टा , वको ध्यानम , श्वान निद्रा , तथैव च
अल्पहारी , गृहत्यागी , विद्यार्थी पंच लक्षणम ||
इस कथन को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए |
विद्यार्थियों को अध्ययन के समान ही अपने स्वास्थ पर भी ध्यान रखना चाहिए | उसे स्वस्थ रहना चाहिए और नित्य कुछ व्यायाम अवश्य करना चाहिए और तन दोनों ही स्वस्थ रहे |
विद्यार्थी को अपना जीवन संतुलित रखना चाहिए | उसे प्रमाद / आलस्य से दूर रहना चाहिए | आवश्यक कार्य में तनिक भी आलस्य नहीं करना चाहिए |
विद्यार्थियों के लिए आवश्यक कोई चीज है तो वह है अनुशासन | जो विद्यार्थी अनुशासनहीन होते हैं गृहस्थ जीवन में भी व्यवस्थित नहीं हो पाते |
विद्यार्थी का मुख्यतम कर्तव्य है - अध्ययन | उसे मन लगाकर , एकाग्रचित होकर पढ़ना चाहिए | विद्वानों द्वारा यह कहा गया है -
काक चेष्टा , वको ध्यानम , श्वान निद्रा , तथैव च
अल्पहारी , गृहत्यागी , विद्यार्थी पंच लक्षणम ||
इस कथन को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए |
विद्यार्थियों को अध्ययन के समान ही अपने स्वास्थ पर भी ध्यान रखना चाहिए | उसे स्वस्थ रहना चाहिए और नित्य कुछ व्यायाम अवश्य करना चाहिए और तन दोनों ही स्वस्थ रहे |
विद्यार्थी को अपना जीवन संतुलित रखना चाहिए | उसे प्रमाद / आलस्य से दूर रहना चाहिए | आवश्यक कार्य में तनिक भी आलस्य नहीं करना चाहिए |
विद्यार्थियों के लिए आवश्यक कोई चीज है तो वह है अनुशासन | जो विद्यार्थी अनुशासनहीन होते हैं गृहस्थ जीवन में भी व्यवस्थित नहीं हो पाते |
Bahut badhiya
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