भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बंधित नारे
कोई भी आन्दोलन तब तक सफल नहीं हो सकता जबतक उसमें भाग लेने वाला व्यक्ति भावनात्मक रूप से न जुड़ जाये | समूह को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए विभिन्न तरीके अपनाये जाते हैं ,
जैसे - उत्साह वर्द्धक राष्ट्रवादी या धार्मिक भावनाओं पर आधारित भाषण , वीर रस की कवितायें और नारे आदि |
नारा , आंदोलन के नायक द्वारा समूह में ऊर्जा , उत्साह , जूनून का संचार करने के लिए दिया जाता है |
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने कई नारे दिए थे जो आज भी यादगार हैं | उन्ही नारों को आजकल किसी न किसी प्रतियोगिता में अक्सर पूछा जाता है |
आइये जानते हैं उन्ही नारों को जिसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने दिया -
लाला लाजपत राय के कथन -
जैसे - उत्साह वर्द्धक राष्ट्रवादी या धार्मिक भावनाओं पर आधारित भाषण , वीर रस की कवितायें और नारे आदि |
नारा , आंदोलन के नायक द्वारा समूह में ऊर्जा , उत्साह , जूनून का संचार करने के लिए दिया जाता है |
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने कई नारे दिए थे जो आज भी यादगार हैं | उन्ही नारों को आजकल किसी न किसी प्रतियोगिता में अक्सर पूछा जाता है |
आइये जानते हैं उन्ही नारों को जिसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने दिया -
नारे
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देने वाले का नाम
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मारो फिरंगी को
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मंगल पाण्डेय
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इंकलाब जिंदाबाद
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भगत सिंह
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साम्राज्यवाद का नाश हो
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भगत सिंह
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दिल्ली चलो
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सुभाष चन्द्र बोस
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जय हिन्द
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सुभाष चन्द्र बोस
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तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा
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सुभाष चन्द्र बोस
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करो या मरो
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महात्मा गाँधी
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हे राम
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महात्मा गाँधी
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भारत छोड़ो
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महात्मा गाँधी
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पूर्ण स्वराज
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जवाहरलाल नेहरु
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आराम हराम है
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जवाहरलाल नेहरु
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हू लिव्स इफ इण्डिया डाइज
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जवाहरलाल नेहरु
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कर मत दो
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सरदार बल्लभ भाई पटेल
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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
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श्याम लाल गुप्ता पार्षद
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वन्दे माँतरम
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बंकिम चन्द्र चटर्जी
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सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
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इक़बाल
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साइमन कमीशन वापस जाओ
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लाला लाजपत राय
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सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
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राम प्रसाद बिस्मिल
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स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
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बाल गंगाधर तिलक
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जन गण मन अधिनायक जय हे
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रविन्द्र नाथ ठाकुर
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लाला लाजपत राय के कथन -
'' मेरे सिर पर लाठी का एक एक प्रहार , अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगी | ''
अबुल कलम आजाद कथन -
'' मुसलमान मूर्ख थे , जो उन्होंने सुरक्षा की मांग की और हिन्दू उनसे भी मुर्ख थे , जो उन्होंने उस मांग को ठुकरा दिया | ''
लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय '' जय जवान , जय किसान '' का नारा दिया था |
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