लोहड़ी कैसा त्यौहार है ?
मकर संक्रांति की पूर्व संध्या को मनायी जाने वाली लोहड़ी , उत्तर भारत का और खासकर पंजाब का एक प्रसिद्ध त्यौहार है | इस दिन लोग आपस में मिलकर रात्रि में अपने घर के बाहर खुले में या चौराहों पर लोहड़ी जलाते हैं और उसके किनारे
घेरा बना करके बैठकर रबड़ी , लावा , मूंगफली आदि का आनंद लेते हैं | इस दिन अलाव के
चारो ओर मस्ती करते हुवे लड़के भांगड़ा करते हैं, नाचते हैं | इस दिन शादीशुदा लड़कियों के घर
पर मिठाई, रबड़ी ,फल आदि भेजा जाता है |
लोहड़ी नाम
क्यों पड़ा है
“ लोहड़ी ’’
शब्द ल ( लकड़ी ) + ओह ( सुखा हुवा उपला ) + ड़ी ( रेवड़ी ) से बना हुवा है |
बहुत लोग यह मानते हैं कि ‘ लोहड़ी ’ शब्द लोई से
उत्पन्न मानते हैं जो संत कबीर की पत्नी थीं | वहीँ कुछ लोग ‘ लोहड़ी ’ शब्द लोह से
उत्पन्न मानते हैं |
क्यों मनायी जाती है लोहड़ी
लोहड़ी के दिन
आग जलाने की प्रथा को लेकर यह माना जाता है कि यह राजा दक्ष की पुत्री सती की
याद में जलायी जाती है | पौराणिक कथाओं के
अनुसार , जब राजा दक्ष एक यज्ञ करवा रहे थे और उसमे अपने दामाद शिव और पुत्री सती
को आमंत्रित नहीं किया | इसी बात को जानने के लिए कि उन्हें क्यों नही बुलाया गया
! सती अपने पिता के पास गयीं , जहां पर राजा दक्ष ने भगवन शिव की बहुत निंदा की ,
अपमानित किया | अपने पति के अपमान से दुखी सती ने अपने आपको उसी यज्ञकुण्ड में
भस्म कर दिया | जब यह सुचना भगवन शिव को मिली तो उन्होंने वीरभद्र को उत्पन्न कर
उस यज्ञ को विध्वंस करा दिया |
यह अग्नि , राजा दक्ष की पुत्री सती के योगाग्नि
– दहन की याद में जलायी जाती है | इस अवसर पर विवाहित पुत्रियों के घर वस्त्र ,
मिठाई , रेवड़ी आदि भेजा जाता है |
कुछ लोग इसे मौसमी पर्व भी मानते
हैं | वो मानते हैं की यह आग पौष की अंतिम रात को कडकडाती ठंढ से बचने के लिए
जलायी जाती है |
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