एलोवेरा की खेती ; एक बार लगाओ बार - बार कमाओ
एलोवेरा नाम तो आपने सुना ही होगा ! बाबा राम देव का अक्सर टीवी पर एलोवेरा का ज्यूस वाला विज्ञापन आता रहता है | एलोवेरा , एक औषधीय पौधा है जिसे दवाईयों के साथ - साथ खाने तथा ज्यूस के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है | इसको अंग्रेजी में Aloe कहते हैं | इसको कहीं कहीं ग्वारपाटा या घृतकुमारी भी कहा जाता है |
वैसे तो एलोवेरा की कई सारी प्रजातियाँ हैं पर ये सामान्य रूप से दो प्रकार के होते हैं - एक कड़वा होता है और एक मीठा |
कड़वा एलोवेरा , औषधी बनाने के काम आता है और मीठा एलोवेरा , खाने तथा ज्यूस के रूप में उपयोग में लाया जाता है | इसके औषधीय गुण के कारण कई सारी कम्पनियां इसका उपयोग चिकित्सा के साथ ही साथ सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए भी उपयोग कर रही हैं |
एलोवेरा की खेती जैविक विधि से होती है | इसमें गोबर के खाद का उपयोग किया जाता है तथा किसी भी रसायन का प्रयोग नही किया जाता है |
एलोवेरा की फसल सामान्य खेतों के अलावा खेतों के मेढ़ो पर भी लगाया जा सकता है | वैसे तो इसकी खेती तो किसी भी सीजन में शुरू किया जा सकता है पर वैज्ञानिक मानते हैं की फरवरी माह में इसकी बुवाई अच्छी रहती है |
एलोवेरा का प्रत्येक पौधा दो फीट की दूरी पर लगाया जाना चाहिए | इसको लगाने 8 से 10 वें महीनें में पत्तियों की पहली कटाई की जाती है | फिर हर चार महीने में इसके पत्तों की कटाई कर बेचा जा सकता है | वैज्ञानिक मानते हैं इसकी चार साल तक हम उत्पादन ले सकते हैं |
वैसे तो एलोवेरा की कई सारी प्रजातियाँ हैं पर ये सामान्य रूप से दो प्रकार के होते हैं - एक कड़वा होता है और एक मीठा |
कड़वा एलोवेरा , औषधी बनाने के काम आता है और मीठा एलोवेरा , खाने तथा ज्यूस के रूप में उपयोग में लाया जाता है | इसके औषधीय गुण के कारण कई सारी कम्पनियां इसका उपयोग चिकित्सा के साथ ही साथ सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए भी उपयोग कर रही हैं |
एलोवेरा की खेती जैविक विधि से होती है | इसमें गोबर के खाद का उपयोग किया जाता है तथा किसी भी रसायन का प्रयोग नही किया जाता है |
एलोवेरा की फसल सामान्य खेतों के अलावा खेतों के मेढ़ो पर भी लगाया जा सकता है | वैसे तो इसकी खेती तो किसी भी सीजन में शुरू किया जा सकता है पर वैज्ञानिक मानते हैं की फरवरी माह में इसकी बुवाई अच्छी रहती है |
एलोवेरा का प्रत्येक पौधा दो फीट की दूरी पर लगाया जाना चाहिए | इसको लगाने 8 से 10 वें महीनें में पत्तियों की पहली कटाई की जाती है | फिर हर चार महीने में इसके पत्तों की कटाई कर बेचा जा सकता है | वैज्ञानिक मानते हैं इसकी चार साल तक हम उत्पादन ले सकते हैं |
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