स्थायी आनंद की प्राप्ति कैसे संभव है ?
अपने जीवन में दुःख की इच्छा कौन रखता है ? निःसंदेह कोई नहीं ! हम हर पल आनंद की आकांछा रखते हैं और इसके लिए लगातार प्रयास भी करते रहते हैं | किसी को पढने में आनंद आता है तो किसी को खेलने में ! किसी को पैसे कमाने में और उसे लुटाने में ! किसी को भगवान की भक्ति में आनंद आता है तो किसी को बड़ी - बड़ी बाते करने में !
पर ! अक्सर यह होता है कि हम जितना आनंद के पीछे भागते हैं , आनंद हमसे उतना ही दूर भागता हुवा दिखाई देता है | कभी - कभी तो हमारी स्थिति ऐसी जाती है जैसे किसी मरुस्थल में पानी न मिलने पर एक मृग की होती है , जिसके कारण से हम निराशा से भी घिर जाते हैं |
हमें एक बात जरुर समझ लेनी चाहिए कि आनंद पाने के सबसे जरूरी चीज होती है - जीवन में सरलता और सहजता !
जैसे - जैसे हम अपना जीवन सरल और सहज बनाते जाते हैं वैसे - वैसे ही हमे आनंद की अनुभूति भी होने लगती है | हम यह हर रोज देखते है कि छोटा बच्चा सदैव ही आनंद और मस्ती में रहता है | कभी सोंचा है क्यों ? क्योंकि वह सरल और सहज जीवन जीता है |
हम अपना आनंद खोजते है वाह्य पदार्थों में ,पद - प्रतिष्ठा में , धन - दौलत में , जमीं - जायदात में ! लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि वास्तविक आनंद भौतिक पदार्थों से नहीं प्राप्त किया जा सकता | भौतिक पदार्थों से हमे क्षणिक आनंद की प्राप्ति होती है इसे हम थोड़े से शांत चित होकर महसूस भी कर सकते हैं | पर हम क्षणिक नहीं ! स्थायी आनंद चाहते हैं |
यह तभी सम्भव है जब हमारा जीवन सरल , सजग के साथ - साथ आध्यात्मिक हो |
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