कर्मठता का कमाल
दूसरों जैसा बनने के बजाय अपने हुनर को जान - समझकर कर्मठता के साथ उसे लगातार निखारने के प्रयास में जुटे लोग न सिर्फ आत्मविश्वास के साथ कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हैं बल्कि अपनी अलग पहचान भी बनाते हैं।क्या आपने जव्वाद पटेल का नाम सुना है ? क्या कहा ? नहीं ! 24 साल के इस हैदराबादी युवक को पिछले दिनों वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी द्वारा यंग इन्नोवेटर अवार्ड से सम्मानित किया गया । इतना ही नहीं ! उन्हें भारत सरकार के नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन रिसर्च एंड इन्नोवेशन से भी नवाजा गया है । जववाद की रोचक इनोवेशन को देखते हुए उन्हें आमिर खान की मशहूर फिल्म 3 इडियट का सोनम वांगचुक भी कहा जाता है । उनके बचपन का एक किस्सा है कि 12 साल की उम्र में पढ़ाई करते हुए बिजली चली जाती थी । इस परेशानी को देखते हुए उन्होंने उसी उम्र में साइकिल से जेनरेटर बना दिया।
ऐसा नहीं है कि इसमें वह पहली बार में ही कामयाब हो गए। पांच से छह बार नाकाम रहने के बावजूद अपनी जिद्द से उन्होंने ऐसा कर दिखाया। कमाल यह है कि सूखा ग्रस्त इलाके में पानी की परेशानी दूर करने के लिए उन्होंने मात्र ₹60000 में एक ऐसी मशीन बनाई है जो हवा की नमी से 1 घंटे में 2 लीटर पानी बना लेती है। आज उनके अनगिनत इनोवेशन है , जो पेटेंट भी हो चुके हैं ।
हालांकि मशीनों में दिलचस्पी रखने वाले अकोला के जाव्वाद को बचपन में इसके कारन उलाहना भी मिलती थी कि पढ़ाई में ध्यान लगाओ नहीं तो इलेक्ट्रीशियन बनकर रह जाओगे।
जीत की जिद्द :
देश और दुनिया में ऐसे एक नहीं , तमाम उदाहरण आपको मिल जाएंगे , जब संसाधनों की कमी होने के बावजूद अपनी जिद और जज्बे से कोई किशोर या युवा कुछ अलग करके अपनी पहचान बना लेता है। वह संसाधनों की तलाश तो करता है लेकिन इसका रोना कतई नहीं रोता। अपने इनोवेशन के बलबूते वह उपलब्ध संसाधनों को ही बड़े अवसर में तब्दील करने का सतत प्रयास करता है और बार-बार नाकामयाबी के बावजूद 1 दिन उसकी लगन, जीत की इबारत लिखने में कामयाब हो जाती है और फिर यहीं से उसके कैरियर और जीवन का टर्निग प्वाइंट शुरू हो जाती है।
कर्म पर जोर :
गीता का एक मशहूर अंश है, “ कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन ” यानी फल की चिंता ना करते हुए इमानदारी से अपना कर्म करते रहना चाहिए।
इसे आप ने भी सुना होगा या आप से किसी ने कहा होगा। पर क्या आपने कभी गौर किया है ? ऐसा लगभग हर कोई करता है, इसके बावजूद ज्यादातर लोग इस पर पूरी तरह अमल नहीं कर पाते । वह फल की चिंता पहले करते हैं , पर उस फल तक पहुंचने के लिए जो श्रम और समय जरूरी है, उसी का निवेश उसमें नहीं करते और बाद में अपनी किस्मत को या फिर अपने संसाधन हीनता को कोसते हुए दिन बिताते हैं । यह प्रवृत्ति बहुत आम है ।
इसके बावजूद अगर गौर करें तो पाएंगे कि हमारे बीच ऐसे भी तमाम लोग हैं जो परिणाम की परवाह किए बिना अपने कर्म मे लीन रहते हैं , भले शुरुआती प्रयासों में उन्हें कामयाबी न मिलती हो और लोग उनके असफल प्रयासों को देखकर खिल्ली तक उड़ाते हो , पर अपने प्रयासों में ईमानदार होने के कारण उन्हें न तो हार से हताशा होती है और ना ही दूसरों की प्रतिकूल टिप्पणियों से उनके ऊपर कोई फर्क पड़ता है। इसके विपरीत इन प्रतिकूलताओं के कारण इनका इरादा और मजबूत हो जाता है।
खुद को जाने :
किसी कोर्स को चुनने की बात हो या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने की बात हो ! ज्यादातर किशोर और युवा दुविधा के शिकार होते हैं। दुर्भाग्य से उनमें से तमाम के अभिभावक भी जागरूक ना होने के कारण उनकी कोई खास मदद नहीं कर पाते । इसका नतीजा यह होता है कि कहीं से मार्गदर्शन न मिल पाने के कारण कुछ किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में पड़ जाते हैं। या वह दूसरों के नक्शे कदम पर चल पड़ते हैं, बिना जाने समझे वह रास्ता उनके मन के अनुकूल है भी या नहीं । इसका एहसास तब होता है , जब वे उस रास्ते पर लंबा सफर तय कर चुके होते हैं तब उन्हें लगता है कि यह तो उनके मन की राह नहीं है । पर वह काफी आगे बढ़ गए होते हैं , इसलिए उस वक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं होता।
इस स्थिति से बचने के लिए सबसे जरूरी यह है कि पहले अपने मन को जाने यानी अपने आप को जाने । दूसरों की तरफ देख कर उनके जैसा बनने की कोशिश भी करने से पहले अपनी पसंद - नापसंद को समझने का प्रयास करें। इसे लेकर दुविधा है तो भी परेशान ना हो। फिर से खुद को जानने की कोशिश करें । हो सकता है कई सारे क्षेत्र में आपकी दिलचस्पी हो। ऐसे में उन्हें पहली, दूसरी , तीसरी प्राथमिकता के रूप में रखते हुए , उनमें आगे के सफर की संभावना देखें और उसी के मुताबिक कदम आगे बढ़ाए। इन प्रयासों से भी सही राह ना समझ में आए तो ऑनलाइन , ऑफलाइन , फोन आदि के जरिए किसी सक्षम काउंसलर की मदद लेने में कतई संकोच न करें।
इन बातों को न करें नजरअंदाज :
➥ आधी अधूरी तैयारी या प्रयास करने के बजाय अपनी पसंद को जानकर ही कदम आगे बढ़ाएं।
➥ रुचि का क्षेत्र होने पर ही आपका मन उस में रमेगा और आप जज्बे के साथ दमदार प्रयास कर सकेंगे।
➥ एक बार प्रयास शुरू कर देने के बाद कर्मठता के साथ आगे बढ़े , लापरवाही कतई ना करें।
➥ मन की दिशा में ईमानदारी के साथ मेहनत करेंगे तो कामयाबी सदा आपके कदम चूमती जाएगी।
Credit : अरुण श्रीवास्तव , दैनिक जागरण अखबार
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