ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है
हो सकता है कि आप “ओणम” शब्द पहली बार सुन रहे हों । यह दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मनाया जाने वाला एक प्राचीन और पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार को मनाने के लिए देशभर से यहां तक कि विदेशों से भी लोग आते हैं।
दरअसल यह एक उत्सव होता है जो केरल के प्रिय राजा महाबली के स्वागत के प्रतीक के रूप में प्रत्येक वर्ष सितंबर के महीने में ( यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के द्वितीया से आरंभ हो जाता है ) हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। जोकि 10 दिनों तक चलता है।
ओणम उत्सव का खेती और किसानों से भी गहरा संबंध है। किसान भाई अपने फसलों की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं। फसल पकने की खुशी लोगों के मन में खुशी और उल्लास लाती है। इसलिए इसे फसल उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
इस दौरान पूरे घर की विशेष साफ-सफाई की जाती है , पूरे घर को फूलों से - मालाओं से सजाया जाता है। घर के आंगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुंदर-सुंदर रंगोलियां बनाई जाती है। इस उत्सव के दौरान प्रत्येक दिन इस रंगोली में एक और वृत्त फूलों की पंखुड़ियों से बना दिया जाता है। इस प्रकार इस उत्सव के आखिरी दिन यह रंगोली एक वृहद आकार का हो जाता है।
इस उत्सव के दौरान दावत समारोह का आयोजन किया जाता है । इसके साथ-साथ नौका दौड़, संगीत , नृत्य आदि का आयोजन भी कराया जाता है।
यह त्यौहार भारत की रंगारंग त्योहारों में से एक माना जाता है। इस पर्व की लोकप्रियता इस बात से समझिए कि केरल की सरकार इस उत्सव को पर्यटन त्योहार के रूप में मनाती है।
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